बेटी- पापा की परी

मां के कोख़ में पली एक नन्हीं सी परी,
दुनियां में आयी तो पिता के गोद आयी परी,
माथे को चूमा तो अमर हो गई परी,
जब पिता का साया पड़ा एक नन्हीं सी परी।

पिता के लिए जब दुनिया बन गई परी,
भूल सारे परेशानियों को जब मिटा दी परी,
थीं चिंता पिता को जब बड़ी होगी परी,
जब पिता का साया पड़ा एक नन्हीं सी परी।

सुना जब पिता ने आवाज़ परी की,
तब परेशानिया भी स्वर्ग बन गई,
आशा थी पिता को,की सफल होगी परी,
जब पिता का साया पड़ा एक नन्ही सी परी।

रोती जब परी पिता की गोद में,
तब सीखते पिता हसना परी को,
रहती तो परी स्वर्ग में पर स्वर्ग बने पिताजी,
एक छोटी सी मुस्कान देख तो दुनियां बन गई परी
तब जाके कहलाई बेटी "पापा की परी"

एक उम्मीद थीं पिता को अपनी नन्ही सी परी,
तब परी ने वादा किया अपने पिता से कि इस 
उम्मीद को कायम करेगी ये परी
जब पिता का साया पड़ा एक नन्ही सी परी।

थीं चिंता पिता को जब दूर है जाएगी परी,
जो जान से भी प्यारी थी वो किसी और की हो जाएगी परी,
जब आंसू छलकेंगे पिता के आंखों से तो देख पाएगी परी,
जब पिता का साया उठ जाएगा एक नन्ही सी परी।

याद करेगी वो बचपन को बताया एक साथ,
जब परेशानियों को भूल जब पिता हस्ते थे एक साथ,
अब इजाज़त लेना पड़ता हैं अपनी ही परी के घर में,
जब पिता का साया उठ गया एक नन्ही सी परी।

पिता के लिए अब भी है बेटी नन्ही सी परी
दूर है तो क्या, जब गहरा है रिश्ता पिता ओर बेटी का
माफ़ करना हर एक गलती जो मांग रही है परी
एक ही विनती है परी को पिता से बस  चाहिए पिता का हाथ परी के सिर पर
परी सारी दुनियां में जब है जाएगी अमर
जब पिता का साया पड़ा एक नन्ही सी परी।

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