हर रात के बाद सवेरा होता है...

 जरूरी नहीं हर हस्ते चेहरे पर 

उदासी के बादल न छाए हो

जिसने अपनी चोट मुस्कुरुहटो से छुपाई हो,

और जिसने मुस्कुराना ही सीख लिया हो 

तो सामझलेना उसने लड़ना भी सीखा होगा...


जो गिर गया है,उसे खुद उठना भी होगा,

जो जिंदगी से अपना ही गला घोट रहा हो

" हर रात के बाद सवेरा होता है " ये उसे

 समझना ही होगा 

 

जिसने पत्थरों के भीड़ में हीरे तराशे होंगे,

बेशक उसने कई कष्ट भी उठाए होंगे।

हर अंधेरे में जिसने चमकता ' दिया ' ढूंढा होगा,और

 हर काटो को सहने के बाद जिसने महकता गुलाब ढूंढा होगा 

तो क्यों न मान लिया जाए कि हर रात के बाद सवेरा होता है 

क्योंकि कामयाबी की डोर तभी आसमानों को चूमती है...,

जब उसने अंधेरों में चमकता जुगनू देखा होगा.....


                                                -Pragati sahu









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